बिहार के हाजीपुर 21 सुरक्षित शीट से नामांकन करने पहुँचने वाले ई. राजकुमार पासवान की चर्चा हाजीपुर ही नहीं पुरे बिहार में है। हाजीपुर लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान का गढ़ रहा है। मंगलवार को ई. राजकुमार ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन कराया है। सोमवार को रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस ने अपना नामांकन कराया है। मंगलवार को कुल 9 प्रत्याशियों ने अपना नामांकन दर्ज कराया। लेकिन ई. राजकुमार की चर्चा हाजीपुर शहर से होते-होते पुरे बिहार में हो गई। कारण भी था,इनके नामांकन का तरीका कुछ अलग था।
बहुत समय पहले एक राजनेता अपना नामांकन बैलगाड़ी से करने पहुंचे थे। तब बड़ी-बड़ी महँगी कार कम थी। लेकिन आज के आर्थिक युग में रिक्शा से नामांकन करना कुछ तो अलग है। पशुपति पारस ने सोमवार को अपना नामांकन कराया था। इनके पहले महागठबंधन से शिव चंद्र राम,लालू- राबड़ी मोर्चा से बलेंद्र दास, निर्दलीय प्रत्याशी प्रेम शंकर पासवान अपना नामांकन दर्ज करा चुके हैं। इन सबमे प्रेम शंकर पासवान भी अपने समर्थकों के साथ पैदल ही 5 किलोमीटर चलकर नामांकन दर्ज कराने पहुंचे थे। ई.राजकुमार पासवान के नामांकन में दर्जनों रिक्शा शामिल था।
पशुपति पारस के नामांकन में राजग के कई बड़े राजनेता शामिल थे। जिसमे कई महँगी कार आई थी। शिवचंद्र पासवान के नामांकन में राजद के वरीय नेता डॉ. रघुबंश प्रसाद सिंह शामिल हुए थे। निर्दलीय प्रत्याशी प्रेम शंकर पासवान के नामांकन में अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के बिहार अध्यक्ष ई.रविंद्र सिंह शामिल थे। प्रेम शंकर पासवान के नामांकन में ई. रविंद्र सिंह भी पैदल ही चिलचिलाती धुप में 5 किलोमीटर पैदल चलकर आए थे। जबकि उनके पास आधा दर्जन महँगी लक्सरी कार है। कोई पैदल नामांकन में आ रहे तो कोई रिक्शा से। इसका मतलब क्या है ? आखिर इन प्रत्याशियों का उद्देश्य क्या है। हाजीपुर सुरक्षित शीट के मतदाताओं को ऐसे प्रत्याशी अपना क्या एजेंडा दिखाना चाहते।