बिहार में अपनी धारदार पत्रकारिता से एक अलग पहचान बनाने वाली दैनिक भास्कर समाचार पत्र के वैशाली जिला प्रभारी ज्योति कुमार नीरज ने भास्कर के साथ 4 साल पुरा होने पर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा पोस्ट…
आज दैनिक भास्कर में मेरा 4 साल पूरा हुआ। आज भी याद है वो दिन जब हाजीपुर में भास्कर की लॉन्चिंग हो रही थी। पूरी टीम ने कमाल का काम किया था। उसके बाद समय बीतता गया। कई नए दोस्त बने, कईयों ने साथ भी छोड़ा हालांकि साथ केवल भास्कर का छोड़ा मेरे साथ तो वे हमेशा हैं। अपनी टीम के मुखिया होने के नाते जवाबदेही भी बढ़ी। अपनी टीम में उम्र में बड़े साथियों का सहयोग भी मिला और मिल भी रहा। इन चार सालों में किसी भी खबर से समझौता नही किया। चाहे वो खबर अपनो के खिलाफ हो या किसी के भी। खबर में जो सच था वही बताया और लिखा। इस वजह से ही कहा कि कइयों ने साथ छोडा। खैर अब बात काम की और जरूरी करते हैं।
जब मैं पत्रकारिता में आया था तो अपने सीनियर और शहर के बड़े पत्रकारों को देखकर मैं भी अपना काम उन्ही की तरह करना चाहता था। उस वक़्त काम सीखने की ललक मुझमे और उस वक़्त कर मेरे साथी पत्रकारों में थी। कई लोग काम मांगने अखबारों के दफ्तर आते जाते थे।
मात्र 5 साल में हाजीपुर की पत्रकारिता में गजब का बदलाओ या यूं कहें कि बीमारी आई है। अब तो बस कैमरे और पुलिस वालों से जान पहचान वाले पत्रकारों को देखकर युवा अपने आपको पत्रकार बनाना चाहते हैं ताकि गाड़ी पर प्रेस और आईकार्ड मिल सके, पुलिस से दोस्ती हो सके।
आए हम भी यही देखकर लेकिन 1 से 2 महीने में ही पता चला कि बेटा यहाँ टिकना है तो पुरानी पढ़ाई और कलम की धार तेज करनी होगी। धीरे धीरे अपने से सीनियर लोगों से सीखते सीखते यहाँ तक पहुंचा। हालांकि आज भी उनसे सीख ही रहा हूँ। अब सवाल यह है कि क्या नए लोग पत्रकारिता में नही आएंगे। और अगर आएंगे तो हम और हमारे पुराने सीनियर ने उन्हें लाने के लिए क्या किया। मैं बताता हूं। हमने जूनियर को सिखाया कुछ नही बस उन्हें हतोउत्साहित किया। एक ही बात बार बार बोला।
# कहाँ आ गए पत्रकारिता में, हमलोग तो जिंदगी खराब कर ही रहे, वगैरह वगैरह…
अगर आपने और हमने ऐसा नही किया होता तो आज तेजतर्रार युवाओं की फौज होती पत्रकारिता में। हर बैनर को आदमी नही ढूंढना होता। चार सालों में एक बात जरूर देखा। खबर छपने पर लोग हमेशा ही पत्रकार को देख लेने और उसे नौकरी से निकलवाने में लग जाते हैं। अरे भाई खबर पढ़ के आत्म मंथन कर लेते तो हम भी खबर के बोझ से बच जाते। लेकिन भास्कर में पत्रकार को नौकरी से नही निकाला जाता। खबर सही हो तो शिकायत आने पर और प्रोत्साहन मिलता है।
आपको बताते हुए खुशी है कि 4 सालो में बिहार का एक मात्र मैं ही ब्यूरो चीफ हु जिसकी सबसे ज्यादा शिकायत मेरे एमडी, मेरे संपादक, और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया में हुई। इस बात के लिए कई बार मेरे संपादक ने मेरी पीठ भी थपथपाई। क्योंकि जिस खबर पर शिकायत की गई वो 100 प्रतिशत सही थी। मुझे नौकरी से निकलवाने का खाब देखने से अच्छा है कि आप काम अच्छा करें क्योंकि दोबारा आपके खिलाफ कुछ मिला तो मै फिर उसी तेवर में लिखूंगा।
भास्कर है तो संभव है।
आप सभी का आशीर्वाद मिलता रहे।
यह पोस्ट ज्योति कुमार नीरज के सोशल मीडिया अकाउंट से साभार छापी गई है।